राजीव गांधी हत्याकांड: दोषी की सज़ा माफ़ी याचिका दो साल से लंबित होने पर अदालत ने नाराज़गी जताई

उच्चतम न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड के एक मुजरिम की सजा माफी की याचिका तमिलनाडु के राज्यपाल के पास दो साल से भी ज्यादा समय से लंबित होने पर मंगलवार को नाराजगी व्यक्त की.

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता एजी पेरारिवलन के वकील से जानना चाहा कि क्या इस मामले में न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अपने अधिकार का इस्तेमाल कर राज्यपाल से इस पर निर्णय करने का अनुरोध कर सकता है.

राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे पेरारिवलन ने अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल के पास यह याचिका दायर की थी. इसी अनुच्छेद के तहत राज्यपाल को किसी आपराधिक मामले में क्षमा देने का अधिकार प्राप्त है.

जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा, ‘हम इस समय अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करना चाहते लेकिन हम इस बात से खुश नहीं है कि तमिलनाडु सरकार की सिफारिश दो साल से लंबित है.’

न्यायालय 46 वर्षीय पेरारिवलन की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने इस मामले में अपनी उम्रकैद की सजा सीबीआई के नेतृत्व वाली एमडीएमए की जांच पूरी होने तक निलंबित रखने का अनुरोध किया है.

इस मामले की सुनवाई के दौरान पेरारिवलन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन से पीठ ने कहा, ‘राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की मदद और सलाह से काम करना है, लेकिन अगर राज्यपाल आदेश पारित नहीं करें तो आप हमें बताएं कि न्यायालय क्या कर सकता है?’

पीठ ने शंकरनारायणन से कहा कि वह न्यायालय को इस तथ्य से अवगत कराएं कि किस तरह से वह राज्यपाल से फैसला लेने का अनुरोध कर सकता है और इस संबंध में कानून क्या कहता है.

शीर्ष अदालत ने इसके बाद तमिलनाडु की ओर से पेश अधिवक्ता बालाजी श्रीनिवासन से जानना चाहा कि राज्य सरकार न्यायालय के किसी आदेश के बगैर ही राज्यपाल से आदेश पारित करने का अनुरोध क्यों नहीं कर सकती? शंकरनारायणन ने कहा कि राज्यपाल ने एमडीएमए की रिपोर्ट मांगी है.

इस पर पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल केएम नटराज से सवाल किया कि क्या राज्य सरकार ने एमडीएमए की रिपोर्ट भेजने के लिए कोई अनुरोध किया है.

नटराज ने कहा कि इस हत्याकांड में व्यापक साजिश की जांच अभी चल रही है. यह जांच ब्रिटेन और श्रीलंका सहित कई देशों में फैली है.

पीठ ने नटराज से कहा कि व्यापक साजिश का मकसद यह पता लगाना था कि क्या इसमें दोषी ठहराए गए व्यक्तियों के अलावा अन्य लोग भी शामिल थे.

पीठ ने नटराज से कहा, ‘यह उन लोगों के संबंध में नहीं है जो दोषी ठहराए जा चुके हैं और जेल में हैं.’

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