केरल में पहली बार पंचायत चुनाव में मनरेगा कामगारों ने बाज़ी मारी

केरल के वायनाड जिले के थिरुनेली गांव की 32 वर्षीय रजनी बलराज साल 2006 से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत मजदूर है.

 रजनी उन 2,159 मनरेगा कामगारों में से एक है, जिन्होंने केरल के स्थानीय निकाय चुनावों में जीत हासिल की है.

अनुसूचित जनजाति से संबंध रखने वाली रजनी कहती हैं, ‘मनरेगा के काम से मुझे बहुत कुछ सीखने में मदद मिली. मैंने लोगों से अच्छे नेटवर्क भी बनाए, जिससे मुझे जीतने में मदद मिली.’

मनरेगा के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, हाल ही में चुने गए 15,961 ग्रामीण पंचायत सदस्यों में से 2,007 मनरेगा कार्यकर्ता हैं.

अधिकारियों का कहना है कि शायद यह पहला मौका है, जब पंचायत निकाय में बड़ी संख्या में मनरेगा कार्यकर्ताओं ने जीत दर्ज की है.

केरल में करीब 90 फीसदी महिलाएं मनरेगा के तहत काम करती हैं, लिहाजा इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि 2,007 में से 1,863 ग्रामीण स्तर की महिलाएं हैं.

इसके अलावा 147 मनरेगा कामगारों को विभिन्न ब्लॉक पंचायतों के लिए चुना गया है. जिनमें से 140 महिलाएं हैं. बता दें कि सभी ब्लॉक पंचायत स्तर में 2,081 सदस्य हैं.

मनरेगा के अधिकारियों के मुताबिक, ‘ये आकंड़े जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण के संकेत हैं. यह हमारे लोकतंत्र की ताकत और पंचायती राज प्रणाली की ताकत का संकेत हैं.’

अधिकारी ने कहा, ‘मनरेगा कामगारों के हर समूह में एक साथी (मेट) है, जो कामगारों को मैनेज करते हैं और लोगों के प्रतिनिधि के रूप में सीधे तौर पर पंचायती अधिकारियों से बातचीत करती हैं. ये अनुभव उन्हें नेतृत्व गुणवत्ता और प्रबंधन कौशल हासिल करने में मदद करते हैं. हाल की जीत यह भी बताती है कि मनरेगा ने जमीनी स्तर के नेता तैयार किए हैं.’

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