बंगाल परिणाम: टीएमसी की जीत नहीं, उन दो नेताओं की हार महत्त्वपूर्ण है

महाराजा तोमारे शेलाम!’, 2 मई की सुबह बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया. यह सत्यजित राय के जन्मशती वर्ष में उनके जन्मदिन पर ममता बनर्जी का उनको अभिवादन था. इससे उनके उस आत्मविश्वास का पता चलता था, जिसके कारण रात होते-होते मालूम हुआ कि ममता के ज़ख़्मी पांवों ने भाजपा की गेंद को लंबी किक लगा दी है.

रात को टेलीग्राफ अखबार को अगली सुबह की सुर्खी के लिए पाठकों से सुझाव मिला: ‘डोरी धोरे मारो तान, राजा होबे खान-खान (रस्सी पकड़कर खींचो, राजा चूर-चूर हो जाएगा.)

मैंने यूट्यूब पर हीरक राजार देशे का वह आख़िरी दृश्य देखा जिसमें प्रजा राजा की प्रतिमा को रस्सी से बांधकर खींचती है और वह गिरकर टुकड़े-टुकड़े हो जाती है.

एक और शीर्षक था: सत्य, जीत, राय (निर्णय)

बंगाल ने सांसों के लिए लड़ते हुए भारत को ऑक्सीजन दिया है. ‘बंगाल ने भारत को बचा लिया’, ममता बनर्जी ने बंगाल में अपनी जीत के बाद यह सादा-सा वाक्य कहा. इससे बेहतर तरीके से बंगाल के चुनाव नतीजे के आशय को व्यक्त भी नहीं किया जा सकता था.

पांच राज्य अपनी नई विधानसभा चुनने जा रहे थे. लेकिन नरेंद्र मोदी नीत भारतीय जनता पार्टी अगर कोई एक राज्य बुरी तरह जीतना चाहती थी तो वह बंगाल था. लेकिन अकेले दम ममता बनर्जी ने भाजपा की हमलावर सेना को रोक दिया.

उसके साथ ही यह कहना ही होगा कि बंगाल के समाज के सामूहिक विवेक ने भी उस खतरे को पहचाना जिसका नाम भाजपा है. यह जीत इसीलिए बंगाल में छिछोरेपन, लफंगेपन, गुंडागर्दी, उग्र और हिंसक बहुसंख्यकवाद की हार भी है.

पिछले सात साल से और खासकर चुनाव प्रचार के पिछले 5 महीनों में भाजपा के नेताओं ने एक अश्लील चुनाव प्रचार किया. बंगाल के लोग ही नहीं, पूरे देश के लोग अवाक रह गए जब उन्होंने अपने प्रधानमंत्री को ‘दीदी ओ दीदी’ कहकर ममता बनर्जी पर फब्ती कसते देखा.

70 पर पहुंचता एक वृद्ध, जो देश का प्रधानमंत्री भी है, सड़कछाप छोकरे की तरह, जो राह चलते लड़कियों पर सीटी बजाता है, करेगा, यह भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संस्कृति के अनुरूप हो लेकिन बंगाल को यह सख्त नागवार गुजरा. खासकर बंगाल की महिलाओं और लड़कियों को.

प्रधानमंत्री का यह असभ्य आचरण अपवाद न था बल्कि भाजपा और संघ की संस्कृति के मेल में ही था यह साबित हुआ जब भाजपा के बंगाल के नेता दिलीप घोष ने ममता बनर्जी के पांव में चोट आ जाने के बाद कहा कि साड़ी उठाकर टांग दिखाने से अच्छा है कि ममता बरमूडा ही पहन लें! सुवेंदु अधिकारी ने ममता को बेगम कहकर ताना कसा.

ममता सिर्फ भाजपा से नहीं लड़ रही थीं. वे खुलकर भाजपा की जीत के लिए उसके पक्ष में रास्ता हमवार बनाने में जुटे चुनाव आयोग की ताकत से भी लड़ रही थीं.

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