मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी.
कैबिनेट के विशेष सत्र में इसे मंजूरी दी गई, जिसके बाद इसे हरी झंडी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया.
बता दें कि राज्य सरकार इसे पहले ही विधानसभा सत्र में पारित कराना चाहती थी, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र रविवार को रद्द हो गया था.
अधिकारियों, कर्मचारियों और पांच विधायकों सहित लगभग 60 लोगों के कोरोना संक्रमित पाए जाने की वजह से रविवार को सभी नेताओं की संयुक्त समिति ने तीन दिवसीय विधानसभा सत्र रद्द कर दिया था.
इस अध्यादेश में जबरन शादी, धमकी, लोभ या किसी तरह के प्रभाव से धर्मांतरण के लिए न्यूनतम एक से पांच साल तक की कैद और 25,000 रुपये का जुर्माना और अधिकतम तीन से दस साल की कैद और 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
, अध्यादेश में कहा गया है कि इस तरह के मामलों की शिकायत सब इंस्पेक्टर की रैंक से ज्यादा के पुलिसकर्मी ही दर्ज कर सकते हैं और शिकायत भी पीड़िता के माता-पिता या भाई-बहन ही दर्ज करा सकते हैं.
अन्य मामलों में अगर पीड़िता के संरक्षक या कस्टोडियन शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए जिला अदालत का रुख करना होगा.
प्रावधान में यह भी कहा गया है कि सिर्फ शादी करने के उद्देश्य से धर्मांतरण को अदालतों द्वारा रद्द घोषित कर दिया जाएगा.
इसके साथ ही धर्मांतरण करा रहे पुजारी या अन्य शख्स को धर्मांतरण की तारीख से 60 दिन पहले जिला प्रशासन को सूचित करना अनिवार्य है. इसका उल्लंघन करने पर जेल जाना पड़ सकता है.