चावल उद्योग महासंघ के सूत्रों का आरोप है कि नान के द्वारा चावल मिलिंग का कार्य प्रारंभ करवाए जाने के 5 महीने से लंबित लगभग 8 करोड़ रूपए के देयकों का भुगतान नहीं किया गया है।
पिछले साल खरीफ में समर्थन मूल्य में खरीदी गई 2 लाख 24 हजार मीट्रिक धान में से करीब 2 लाख मीट्रिक धान की कस्टम मिलिंग करवाए जाने के बाद भी नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा संबंधित राइस मिलरों का भुगतान नहीं किए जाने का मामला सामने आया है।
जिससे संबंधित चावल मिलरों के सामने मिलों के बिजली बिल और धान की मिलिंग करने वाले श्रमिकों का भुगतान किए जाने की समस्या उत्पन्न हो गई है।
बताया है कि धान की कस्टम मिलिंग का भुगतान और वेयर हाउस से धान का परिवहन करवाने के अलावा मिलों से अपने वाहनों से ही चावल जमा करने के लिए गोदामों तक पहुंचाने का काम अनुबंध के तहत मिलरों को ही करना पड़ता है।
करीब दो लाख मीट्रिक टन धान की मिलिंग करने वाले मिलरों के सामने आर्थिक संकट गहरा होता जा रहा है। क्योंकि मीलिंग का कार्य षुरू करवाए जाने के बाद भी नान द्वारा वाहन भाड़ा दर और मिलिंग की नई दरों का निर्धारण नहीं किया गया और न ही लगभग 8 करोड़ रूपए के लंबित संबंधित देयकों का भुगतान किया गया।