नागोर्नो-करबाख क्षेत्र को लेकर आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच विवाद जारी-

दोनों देशों के बीच हुए हिंसक संघर्ष के कारण अब तक कुल 16 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 100 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच चल रहे क्षेत्रीय विवाद और जातीय संघर्ष ने नागोर्नो-करबाख क्षेत्र के आर्थिक-, सामाजिक और राजनीतिक विकास को भी खासा प्रभावित किया है|वर्तमान नागोर्नो-करबाख क्षेत्र को लेकर आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच विवाद की शुरुआत वर्ष 1918 में तब हुई थी, जब ये दोनों देश रूसी साम्राज्य से स्वतंत्र हुए थे।वर्ष 1988 में अज़रबैजान की सीमाओं के भीतर होने के बावजूद नागोर्नो-काराबाख की विधायिका ने आर्मेनिया में शामिल होने का प्रस्ताव पारित किया।वर्ष 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया और नागोर्नो-काराबाख स्वायत्त क्षेत्र ने एक जनमत संग्रह के माध्यम से स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया, वहीं अज़रबैजान ने इस जनमत संग्रह को मानने से इनकार कर दिया। सोवियत संघ के विघटन के साथ ही रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण इस क्षेत्र को लेकर आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच भी युद्ध की शुरुआत हो गई।

विवादित नागोर्नो-काराबाख स्वायत्त क्षेत्र को लेकर आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच वर्ष 1994  के बाद से ही छोटे-छोटे संघर्ष जारी हैं और मध्यस्थता के तमाम प्रयास दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने में विफल रहे हैं।किसी भी प्रकार का व्यापक सैन्य संघर्ष तुर्की और रूस जैसी क्षेत्रीय शक्तियों को इस युद्ध में हिस्सा लेने के लिये मज़बूर कर देगा और तुर्की तथा रूस दोनों ही देश इस युद्ध में शामिल होना नहीं चाहेंगे, इसलिये इस क्षेत्र में शांति स्थापित करना उनकी प्राथमिकता होगी। व्यापक पैमाने पर युद्ध होने के कारण इस क्षेत्र से तेल और गैस का निर्यात भी बाधित होगा, ज्ञात हो कि अज़रबैजान, जो प्रति दिन लगभग 800,000 बैरल तेल का उत्पादन करता है, यूरोप और मध्य एशिया के लिये एक महत्त्वपूर्ण तेल और गैस निर्यातक हैं |अज़रबैजान और आर्मीनिया दोनों ने ही एक-दूसरे पर युद्ध विराम के उल्लंघन का आरोप लगाया है. इससे युद्ध विराम के समझौते के मायने को लेकर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं. रूस ने दोनों देशों के बीच शांति समझौते को लेकर मध्यस्थता की थी | तुर्की ने कहा है कि अज़रबैजान और आर्मीनिया की चल रही लड़ाई में वो अज़रबैजान का तब तक समर्थन करता रहेगा जब तक कि नागोर्नो-काराबाख़ के विवादित इलाके पर उसका नियंत्रण स्थापित न हो जाए|

अज़रबैजान और आर्मीनिया दोनों ने ही एक-दूसरे पर युद्ध विराम के उल्लंघन का आरोप लगाया है. इससे युद्ध विराम के समझौते के मायने को लेकर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं. रूस ने दोनों देशों के बीच शांति समझौते को लेकर मध्यस्थता की थी | तुर्की ने कहा है कि अज़रबैजान और आर्मीनिया की चल रही लड़ाई में वो अज़रबैजान का तब तक समर्थन करता रहेगा जब तक कि नागोर्नो-काराबाख़ के विवादित इलाके पर उसका नियंत्रण स्थापित न हो जाए|

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