उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थिति खाद कारखाना परिसर में सैनिक स्कूल बनाने के लिए बीते पांच दशक से अधिक समय से रह रहे 198 पूर्व कर्मचारियों और 72 दुकानदारों को उजाड़ने की तैयारी चल रही है.
गोरखपुर जिला प्रशासन द्वारा सैनिक स्कूल के लिए मिली जमीन का सर्वे कराने के बाद से खाद कारखाने के पूर्व कर्मचारी और दुकानदार अपनी बेदखली को लेकर चिंतित हैं और उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया है.
गोरखपुर में फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के खाद कारखाने की स्थापना 20 अप्रैल 1968 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था. यह कारखाना एफसीआई की देश की पांच यूनिटों में से एक था.
यह खाद कारखाना वर्ष 1990 तक निर्बाध रूप से चला. 10 जून 1990 को एक दुर्घटना में मेघनाथ सिंह नाम के अधिकारी की मौत के बाद खाद कारखाना अस्थायी रूप से बंद क्या हुआ, इसके बाद से इसका भोपू कभी नहीं बजा.
कारखाना बंद होने के बाद इसका मामला बोर्ड ऑफ इंडस्ट्रियल एंड फाइनेंशियल रिकंस्ट्रक्शन (बीआईएफआर) में चला गया. तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 18 जुलाई 2002 को गोरखपुर खाद कारखाने को अंतिम रूप से बंद करने का निर्णय लिया. यहां कार्य करने वाले 2400 स्थायी कर्मचारियों को वालंट्री सेपरेशन स्कीम (वीएसएस) के तहत हटा दिया गया.