अर्णब गोस्वामी को राहत नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा- ज़मानत के लिए निचली अदालत में जाएं

,जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एमएस कार्णिक की पीठ ने मामले में सह आरोपी नीतिश सारदा और फिरोज शेख की अंतरिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि ‘मौजूदा मामले में उच्च न्यायालय द्वारा असाधारण अधिकार क्षेत्र के प्रयोग करने के लिए कोई मामला नहीं बनाया गया है.’

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अर्णब जमानत के लिए निचली अदालत का रुख कर सकते हैं. इसके बाद अर्णब ने अलीबाग सत्र अदालत में जमानत याचिका दायर की थी, जिसे सत्र अदालत ने खारिज कर दिया.

बता दें कि अर्णब को बीते रविवार को अलीबाग से तलोजा जेल शिफ्ट किया गया था. अर्णब ने आरोप लगाया था कि जेल स्टाफ ने उनके साथ मारपीट की और उन्हें उनके वकील से बात नहीं करने दी गई.

उच्च न्यायालय से जमानत याचिका खारिज होने के बाद गोस्वामी को अब तलोजा जेल में ही रहना पड़ेगा.

अदालत ने सोमवार को अपने आदेश में कहा, ‘याचिकाकर्ताओं के पास संबंधित सत्र अदालत से जमानत पाने का प्रभावी तरीका है. हम पहले ही कह चुके हैं कि अगर ऐसी कोई जमानत याचिका दायर होती है तो सत्र अदालत उस पर चार दिनों के भीतर फैसला करे.’

पीठ ने कहा कि अंतरिम जमानत याचिका खारिज होने से याचिकाकर्ता के समक्ष नियमित जमानत पाने का जो विकल्प है वह प्रभावित नहीं होगा.

उसने कहा कि सत्र अदालत अर्जी पर गुण-दोष के आधार पर सुनवाई कर अपना फैसला देगी.

न्यायाधीशों ने कहा, ‘हमारे विचार से महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में आगे की जांच के जो आदेश दिए हैं उसे गैरकानूनी और मजिस्ट्रेट से अनुमति लिए बगैर नहीं कहा जा सकता.’

उन्होंने कहा, ‘इस संबंध में हमें कोई संदेह नहीं है कि राज्य सरकार संबंधित पुलिस अधिकारियों को विस्तृत जांच के आदेश दे सकती है, जैसा कि मौजूदा मामले में हुआ है.’

अदालत ने कहा कि उक्त जांच करने से पहले मजिस्ट्रेट को इसकी सूचना दी गई थी. अदालत ने यह भी कहा कि ‘पीड़ित के अधिकार भी आरोपी के अधिकार के समान ही महत्वपूर्ण हैं.’

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