भारतीय-अमेरिकी समुदाय से संपर्क के दौरान नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बराक ओबामा प्रशासन के तहत भारत-अमेरिका साझेदारी के लिए अपने लिए समर्थन मांगा था.
उन्होंने महत्वपूर्ण भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर जोर देने वाले प्रमुख डेमोक्रेट सीनेटर होने के लिए समर्थन की मांग की थी. भारत के साथ उनका जुड़ाव रहा है, लेकिन जिस बदले हुए अंतरराष्ट्रीय माहौल और कठिन आर्थिक परिस्थियों में वह राष्ट्रपति का पदभार संभालेंगे वही उनकी विदेश नीति की प्राथमिकता तय करेगी.
पिछले दो दशकों में अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते काफी हद तक राजनीतिक रूप से सहज बने रहे, चाहे इस दौरान वाशिंगटन या दिल्ली में कोई भी सत्ता में रहा हो.
हालांकि, थोड़ी बहुत परेशानी व्यापार और प्रवासियों के मुद्दों को लेकर बनी रही. जहां तक इस रिश्ते में बाजार तक पहुंच पारंपरिक रूप से समस्याग्रस्त क्षेत्र रहा है, वहीं प्रवासियों के मुद्दे पर सबसे अधिक समस्या डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के दौरान देखने को मिली.
यहां हम तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में समझने की कोशिश करेंगे कि अभी दोनों देशों के रिश्ते कहां हैं और भविष्य में वे किस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं.