कोवैक्सीन ट्रायल को लेकर भ्रामक एडवाइज़री जारी करने पर विशेषज्ञों ने भारत बायोटेक को फटकारा

कोरोना वायरस के संभावित टीके कोवैक्सीन के ट्रायल को लेकर फार्मास्युटिकल कंपनी भारत बायोटेक द्वारा जारी की गई जानकारियों को लेकर विशेषज्ञों ने उसकी आलोचना की है.

अपने फेज-3 ट्रायल के लिए वॉलेंटियर्स की कमी से जूझ रही कंपनी ने हाल ही में एक दस्तावेज जारी किया, जिसमें उन्होंने अपने ट्रायल को लेकर बेसिक जानकारियां साझा की हैं.

इससे जुड़े सवालों की सूची में एक सवाल है, ‘जब सरकार 50 साल से ऊपर वाले व्यक्तियों का जल्द टीकाकरण करने की योजना बना रही है तो मुझे कोवैक्सीन के फेज-3 ट्रायल में क्यों शामिल होना चाहिए?’

इसके जवाब में कहा गया कि मुख्य जांचकर्ता वॉलेंटियर्स को बताए कि ये वैक्सीन उन्हें कोविड-19 से बचाएगी और चूंकि सरकार द्वारा टीका लगवाने में अभी कई महीने लग सकते हैं, इसलिए लोग इसमें शामिल हो सकते हैं.

इसके साथ ही दस्तावेज में केंद्र का हवाला देते हुए कहा गया है कि पहले महीने में वैक्सीन की उपलब्धता काफी सीमित रहेगी. इसके अलावा यदि वैक्सीन उपलब्ध भी हो गई तो पहले एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों, इसके बाद दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर, जिसमें पुलिस एवं सशस्त्र बल शामिल हैं, का टीकाकरण किया जाएगा.

इस श्रेणी के लोगों को टीका लगाने के बाद ही 50 साल से अधिक के उम्र वालों को टीका लग पाएगा, जिनकी संख्या 50 करोड़ है.

इस आधार पर भारत बायोटेक के दस्तावेज में कहा गया है 50 साल से अधिक के उम्र वाले सभी लोगों को टीका लगाने में काफी समय लग जाएगा, इसलिए ये सलाह दी जाती है कि इस श्रेणी के लोग फेज-3 ट्रायल में शामिल हों और वैक्सीन लगवाकर खुद को सुरक्षित करें.

हालांकि फार्मा कंपनी ने इस तरह के दावों की विशेषज्ञों आलोचना की है और कहा कि उन्होंने ऐसा कहकर पब्लिक को गुमराह किया है.

विशेषज्ञों ने कहा कि भारत बायोटेक इस तरह की बातें करके ऐसा भाव दे रहा है कि ट्रायल में शामिल होने पर लोगों को कोरोना वायरस से सुरक्षा मिल जाएगी, जो सही नहीं है.

‘इस दस्तावेज में स्पष्ट रूप से भ्रामक भाषा का इस्तेमाल किया गया है. फेज-3 ट्रायल का मुख्य उद्देश्य इसके प्रभाव को जांचना है. हालांकि इसमें इसके प्रभाव को लेकर पहले से ही धारणा बना दी गई है, लेकिन ये सब किस आधार पर?’

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