कंगना से उलझना शिवसेना को भारी पड़ा –

बुधवार को बीएमसी ने इस कथ‍ित अवैध निर्माण को गिराने की प्रक्रिया शुरू की लेकिन कंगना यह कहते हुए क‍ि उन्हें समय पर इसके बारे में नहीं बताया गया, हाई कोर्ट चली गईं और अदालत ने तुरंत बीएमसी की कार्रवाई पर रोक लगा दी.

तोड़फोड़ की यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई जब कंगना और महाराष्ट्र सरकार के बीच जबरदस्त विवाद चल रहा है. मुंबई में जिस वक्त कंगना के दफ्तर में तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू हुई उस वक्त कंगना ने मुंबई के ल‍िए फ्लाइट पकड़ी.

उन्‍होंने ट्वीट किया था, ‘मुझे बताया गया है कि वे कल मेरी प्रापर्टी को गिरा देंगे.’ एक अन्‍य ट्वीट में उन्‍होंने दावा किया था कि उनके पास इसकी जरूरी इजाजत है और उनकी प्रापर्टी में कुछ भी ‘गैरकानूनी’ (निर्माण) नहीं है. हालांकि एडीशनल सेशन जज कोर्ट के कागजात (जिन पर 20 अक्‍टूबर 2019 की तारीख है) बताते हैंं कि 28 मार्च 2018 को मिले नोटिस पर अंतरिम राहत के लिए कंगना ने कोर्ट की शरण ली थी. इसके ऑर्डर पर 10 सितंबर 2018 की तारीख है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि उन्‍हें जवाब देने का मौका दिया जाना चाहिए और यदि जरूरी और अनुमति योग्‍य है तो वह अवैध निर्माण के नियमितीकरण के लिए भी आवेदन कर सकती हैं.

कंगना रनौत को संघ का साथ मिल गया है? यह सवाल इसीलिए पूछा जा रहा है क्योंकि RSS के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख रामलाल ने एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा- “असत्य के हथौड़े से सत्य की नींव नहीं हिलती।”

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कंगना रनौत और शिवसेना के बीच तनातनी की स्थिति बनी हुई है। शिवसेना शासित बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने बुधवार को अभिनेत्री कंगना रनौत के बांद्रा स्थित दफ्तर का ‘अवैध निर्माण’ भी गिरा दिया था। हालांकि, बाद में कंगना रनौत ने BMC की दफ्तर तोड़ने वाली कार्रवाई के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था जिसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने उसपर रोक लगा दी थी।

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